Shabe Barat ki Namaz.शबे बरात की नमाज़ नफल अल्ला ताला के नेक बंदों का मामुल रहा है कि वे लोग शबे बरात की रात में ज्यादा से ज्यादा नमाज़ पढ़ते थे और अपने माली के हकीकी से खुब लौ लगाते थे।इसलिए हमें भी चिए कि इस मुबारक महीने और खास कर शबे बरात की रात नमाज़ पढ़ें और अपने गुनाहूं से तौबा करें।
Shabe Barat ki Namaz
अब मन में एक सवाल उठता है कि शबे बरात की रात नमाज़ नफल पढ़ें या अपनी जिंदगी की कज़ा नमाज़ें पढ़ें जब इस तरह के सवाल इमाम अहमद रज़ा खान फाजिले बरेलवी से हुआ तो आप ने क्या खूबसूरत जवाब दिया आप भी पढ़ें और अपने मित्रों को भी भेज कर शवाब कमायें ।
शबे बरात की रात नमाज़ नफल पढ़ने का बहुत ही ज्यादा शवाब है लेकिन यह उस व्यक्ति के लिए जिस के उपर कोई कज़ा नमाज़ का बोझ न हो ।अगर किसी के उपर (जिम्मे) कोई कज़ा नमाज़ फर्ज या वाजिब हो तो वह व्यक्ति नफल नमाज़ न पढ़ें अगर वह पढ़ता है तो उस की नफल नमाज़ कबूल नहीं होगी । जबतक की कज़ा नमाज़ अदा न कर ले ।
हदिसे पाक में है कि जब हजरत सिद्दीक अकबर खलिफा रसूल ललाह ﷺ के नजा य’नी दुनिया से जाने का वक्त करीब हुआ तो अमीरूल मोमेनिन हजरत उमर फारूक रज़ीअललाह अनहु से फरमाया कि या उमर अल्लाह तअ’ला से डरते रहना और याद रखें कि कुछ काम दिन में हैं अगर उस को रात में करेंगे तो कबूल नहीं होगा । और कुछ रात के हैं अगर उस को दिन में किया जाय तो कबूल नहीं होगा । और इस बात को अच्छी तरह से याद रखें जिस की नमाज़े फर्ज कज़ा हो उस की नफल नमाज़ कबूल नहीं होती है ।और 2 दोसरी हदिस शरीफ में है कि जो फर्ज छोड़ कर सुन्नत, नफल में लगा रहे वह खार (अपमानित)होगा । ( फतावा रज़विया पाट॔ 4 Page No.437).
Shabe Barat Mai kiya Achha
आलाहजरत फरमाते हैं :- कज़ा नमाज़ें जल्द से जल्द अदा करना लाजिम है बहुत ही जरूरी है । क्या पता किस समय मौत आजाये और यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है एक दिन की बीस20 रकअत होती है (जैसे-फजर की 2 रकअत जोहर की 4 रकअत असर की 4 रकअत मगरीब की 3 रकअत और ईशा की सात 7रकअत चार 4 फर्ज तीन 3 रकअत वितर
कज़ा नमाज़ों को सूर्य के निकलने एवं डूबने के समय को छोड़ कर किसी भी समय पढ़ सकते हैं । कयोंकि सूर्य के निकलने एवं डूब ने के समय सजदा करना हराम है । (Almalfuzالملفوظ Page No.154.
कज़ा नमाज़ कैसे पढ़ा जाये?
उत्तर:- जिस व्यक्ति की बहुत सारी नमाज़ें कज़ा होगई हो उस को अखतियार (विकल्प) है कि( सव॔परथम) सबसे पहले फजर की सब नमाज़ें पढ़ लें फिर जोहर, फिर असर, फिर मगरीब, फिर इशा की सब नमाज़ें एक साथ अदा करता जाये और सब का हिसाब भी लगाये ताकि कोई बाकी न रह जाये अगर ज्यादा हो जायें तो कोई दिक्कत नहीं है ।
कज़ा नमाज़ अदा करने काहिली (आज कल कर के टालना नहीं चाहिए कयोंकि जब तक कज़ा नमाज़ का बोझ रहे गा।कोई भी नफल नमाज़ कबूल नहीं किया जाता है ।
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कज़ा नमाज़ की नियत कैसे करते हैं ?।
कज़ा नमाज़ की नियत इस प्रकार से करें । उधाहरण :- आप कि 100 फजर की नमाज़ कज़ा है तो आप हर बार नियत करते समय कहैं।सब से पहली जो फजर मुझ से कज़ा हुई उस की नियत करता हूँ । हर नमाज़ के लिए इसी प्रकार की नियत करें ।
अगर किसी व्यक्ति की बहुत सारी नमाज़ कज़ा है तो उस के अदा करने में क्या छुट है ।
जी :- उस के अदा करने में छुट है । हर चार 4 रकअत वाली नमाज़ के आखिरी 2 रकअत में पुरा अलहमदु शरीफ الحمد شریف की जगह तीन 3 बार सुबहान अल्लाह سبحان اللہ कहने से फर्ज अदा हो जाये गा। और रू कुअ और सजदा में सिर्फ एक बार सुबहानी रब्बी यल अजीम سبحان ربی العظیم और सुबहानी रब्बी यल आला سبحان ربی العلیٰ पढ़ ले ना काफी है ।
इसी तरह तशहुद( दो रकअत में और चार में बैठ कर अतता हियात पढ़ना) तशहुद के बाद दोनों बार दरूद शरीफ की जगह अल्ला हूममा सल्ले अला सयया दिना मोहमद व आलिही اللھم صلی علی سیدنا محمد و الہ पढ़ना काफी है ।
और वितरों की नमाज़ में दुआएं कुनूत دعائے قنوت की जगह सिर्फ रब्बीग फिरली رب اغفرلی कह लेना काफी है । आप इस तरह नमाज़ पढें और अपने कज़ा नमाज़ों को कम करें
इसिलिए बेहतर और अच्छा है कि Shabe Barat ki Namaz नफल न पढ़ कर कज़ा नमाज़ें पढ़ लैं और अल्लाह के अजाब से बचें ।और जब आप Shabe Barat ki Rat नमाज़, कुरान पाक की तिलावत,तसबिह, दरूद शरीफ, आदि नेक काम करें तो हमारे लिए भी दुआ करैं ।
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